Sunday, November 5, 2017

First Heli Expo India & International Civil Helicopter Conclave Inaugurated

4.11.2017
First Heli Expo India & International Civil Helicopter Conclave Inaugurated Today 
The 1st Heli Expo India and International Civil Helicopter Conclave-2017 is inaugurated in New Delhi today by the Uttrakhand Tourism Minister Shri Satpal Maharaja ji in the presence of the Aviation Today is also unveiled by the chief guests on this occasion.
Secretary, Civil Aviation Shri R.N. Choubey, CMD Pawan Hans, Dr. B. P. Sharma and other dignitaries. The first issue of Pawan Hans Magazine
Speaking on the occasion, the Uttarakhand Tourism Minister said that the helicopter taxi services have a huge potential for enforcing law and order, air ambulance services, to check forest fire and can provide better connectivity to religious and tourist destinations located in rough terrain of hilly areas.
On this occasion the Secretary, Civil Aviation Shri R.N. Choubey said that India has achieved a growth rate of about 20% in domestic air travel section in the last three years, which is the highest growth rate in the world Civil Aviation Sector. He said however, that this growth rate is confined to fixed wing traffic only and the helicopter traffic is much less in India. He said that the National Civil Aviation Policy tries to address this gap. As per the new NCAP, helicopters are free to fly from point to point without prior ATC clearance in airspace below 5000 feet. Shri Choubey said the aviation agencies should start exploring the option to start helicopter taxi services between Delhi -NCR and other North Indian States.
This two days 1st Heli Expo India & International Civil Helicopter Conclave-2017 is organised by Pawan Hans Limited, a Mini Ratna company of Ministry of Civil Aviation in association with PHD Chamber of Commerce and Industry with the theme of ‘Enhancing Connectivity’ at the Pawan Hans Heliport, Rohini, New Delhi. Experts from Industry and Defence Forces and representatives from ICAO and SAARC countries attended the conclave.
An exhibition is also organised at the venue. The second day is open for public, where one can visit the exhibition and pre-book the Delhi Darshan joy rides by Helicopter.  

Saturday, November 4, 2017

प्रधानमंत्री ने विश्‍व खाद्य भारत-2017 का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री ने विश्‍व खाद्य भारत-2017 का उद्घाटन किया 
प्रधानमंत्री ने निवेशकों के पोर्टल ‘निवेश बन्‍धु’ का शुभारंभ किया
खा़द्य प्रसंस्‍करण उद्योग में निवेश के लिए भारत प्राथमिकता वाला देश
प्रधानमंत्री ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की सहायता के लिए भारतीय व्‍यंजन पर आधारित एक स्‍मारक डाक टिकट और पाठ्य सामग्रियों को भी जारी किया
खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग में क्रांति लाने के लिए भारत तैयार : श्रीमती हरसिमरत कौर बादल
व्‍यापार करने में आसानी के मामले में भारत की बेहतर स्थिति के लिए बहुराष्‍ट्रीय कंपनियों के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारियों ने भारत की प्रशंसा कीविश्‍व खाद्य भारत-2017 के पहले दिन 68,000 करोड़ रूपये मूल्‍य के 13 समझौतों पर हस्‍ताक्षर हुए

The Prime Minister, Shri Narendra Modi addressing the gathering at the inauguration ceremony of the World Food India 2017, in New Delhi on November 03, 2017.
प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज नई दिल्‍ली के विज्ञान भवन में विश्‍व खाद्य भारत-2017 का उद्घाटन किया। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन केन्‍द्रीय खाद्य प्रसंस्‍करण मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल के दिशा-निर्देश के तहत खाद्य प्रसंस्‍करण मंत्रालय द्वारा किया गया है।
अर्मेनिया के राष्‍ट्रपति एच.ई श्रीसर्ज सर्गेसन, लातविया प्रधान मंत्री एच.ई. श्री मैरिस कुसिन्स्कीस इटली के आर्थिक विकास के उपमंत्री श्री पीटर ब्लेसर, जर्मनी के खाद्य व कृषि के संघीय मंत्री श्री एस्बेन लुंडे लार्सन और डेनमार्क के पर्यावरण और खाद्य मंत्री भी उपस्थित थे। नेस्ले के निदेशक मंडल के अध्यक्ष श्री पॉल बॉल्के, यूनिलीवर के खाद्य विभाग के वैश्विक अध्‍यक्ष सुश्री अमांडा शोररी, मेट्रो एजी और मेट्रो कैश केरी के सीईओ श्री पीटर बून, ट्रेंट लिमिटेड के अध्‍यक्ष और टाटा इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक श्री नोएल टाटा, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्य मंत्री तथा खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग राज्‍य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति भी उद्घाटन समारोह में शामिल हुई।
भारत में पहली बार विश्‍व खाद्य सम्‍मेलन आयोजित किया गया है। इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने ‘निवेश बंधु’ (http://foodprocessingindia.co.in/) पोर्टल या इन्‍वेस्‍टर फ्रेंड का शुभारंभ किया। इस पोर्टल में केंद्र व राज्‍य सरकारों की नीतियां तथा खाद्य प्रसंस्‍करण प्रक्षेत्र के अंतर्गत दी जा रही रियायतों की जानकारी होगी। यह व्‍यवसायियों, किसानों, व्‍यापारियों, प्रसंस्‍करण से जुड़े लोगों और लॉजिस्‍टिक संचालकों के लिए एक साझा मंच होगा। इस पोर्टल में खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्रालय के साथ प्रकाशनों को शामिल किया गया है, जो निवेशकों को निर्णय लेने में सहायता प्रदान करेंगे। प्रधानमंत्री ने भारतीय व्‍यंजन पर एक स्‍मारक टिकट और एक कॉफी टेबल बुक को जारी किया।
प्रधानमंत्री ने कृषि के क्षेत्र में भारत की शक्‍ति को विभिन्‍न और कई प्रकार से देखा जा सकता है। विश्‍व की दूसरी सबसे बड़ी कृषि योग्‍य भूमि और अधिकाधिक 127 विविध कृषि जलवायु क्षेत्र, जो कि केले, आम, गवा, पपीता और ओकरा जैसी फसलों के क्षेत्र में हमें वैश्विक नेतृत्‍व प्रदान करता है। चावल, गेहूँ ,मछली, फल और सब्जियों के उत्‍पादन के क्षेत्र में विश्‍व में हम दूसरे नम्‍बर पर हैं। साथ ही, भारत एक बड़ा दूध उत्‍पादक देश है। पिछले दस वर्षों के दौरान हमारे बागवानी क्षेत्र ने प्रतिवर्ष औसतन 5.5 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज  की है।
सदियों से भारत ने हमारे खास मसालों की तलाश में आये दूरवर्ती देशों के व्‍यापारियों का स्‍वागत किया है, जो यहां विशेष मसालों की खोज में आए थे। उन्‍होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्‍करण भारतीय जीवन का एक अंतरंग हिस्‍सा है। एक अत्‍यंत साधारण घर में भी सदियों से यह परंपरा जारी है। साधारण घरेलू तरीकों जैसे खमीर बनाने के माध्‍यम से हमारे विख्‍यात अचार, पापड़, चटनी और मुरब्‍बे तैयार किए जाते हैं, जो दुनिया भर में बेहद लोकप्रिय हैं।
भारत आज विश्‍व की तेजी से विकसित हो रही अर्थव्‍यवस्‍थाओं में से एक है। वस्‍तु और सेवा कर या जीएसटी ने करों की बहुलता को समाप्‍त किया है। भारत ने विश्‍व व्‍यापार रैंकिंग में तीस रैंक का उछाल दर्ज की है। यह भारत का अब तक का सबसे अच्‍छा प्रदर्शन है और इस साल किसी भी देश द्वारा अंकों में की गई सबसे ऊंची छलांग है। भारत को वर्ष 2016 में ग्रीनफील्‍ड निवेश में प्रथम स्‍थान प्राप्‍त हुआ था। वैश्विक नवाचार सूचकांक, ग्‍लोबल लॉजिस्टिक इंडेक्‍स और वैश्विक स्‍पर्धात्‍मक सूचकांक में भी भारत की स्थिति में तेजी से प्रगति हो रही है।
भारत में नया व्‍यापार शुरू करना अब पहले की अपेक्षा अधिक सरल हो गया है। विभिन्‍न एजेन्सियों से मंजूरी प्राप्‍त करने की प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है। पुराने कानूनों के स्‍थान पर नये कानूनों का निर्माण किया गया है और अनुपालन बोझ को कम किया गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मूल्‍य श्रृंखला के विभिन्‍न वर्गों में निजी क्षेत्र की सहभागिता में वृद्धि हुई है। हालांकि, अनुबंध कृषि, कच्‍चा माल प्राप्‍त करने और कृषि संबंधों के निर्माण में और अधिक निवेश की आवश्‍यकता है। कई अंतर्राष्‍ट्रीय कंपनियां भारत में अनुबंध खेती के लिए आगे आई हैं। भारत को एक प्रमुख आउटसोर्सिंग हब के रूप में देखने वाली वैश्विक सुपर मार्केट के लिए यह एक खुला अवसर है।   
प्रधानमंत्री ने कहा कि आधुनिक तकनीक, संसाधन और पैकेजिंग के साथ परम्‍परागत भारतीय भोजन का संयोजन विश्‍व को हल्‍दी, अदरक और तुलसी जैसी भारतीय खाद्य सामग्रियों के ताजा स्‍वाद और स्‍वास्‍थ्‍य लाभों को पुन: प्राप्‍त करने में सहायता कर सकता है। निरोधक स्वास्थ्य देखभाल के अतिरिक्त लाभों के साथ स्वच्छ, पौष्टिक और स्वादिष्ट संसाधित भोजन का सही मिश्रण, भारत में किफायती तौर पर तैयार किया जा सकता है। 
उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया, जिसे खासतौर से शेफ संजीव कपूर ने तैयार किया है। इसे फूड स्प्रीट का नाम दिया गया है। यहां भारतीय मसालों और अन्य खाद्य सामग्रियों का इस्तेमाल करके खाने-पीने की चीजों का प्रदर्शन किया गया है। इंडिया गेट के 40,000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैली प्रदर्शनी में 22 देशों और घरेलू कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली 800 कंपनियां खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में अपनी उपस्थिति का प्रदर्शन कर रही हैं।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि आज का दिन एक ऐतिहासिक दिन है कि भारत में पहले मेगा फूड का आयोजन हो रहा है। वर्ल्ड फूड इंडिया में 60 देशों के 700 हितधारक, 75 अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय नीति निर्माता तथा शीर्ष नेतृत्व, 60 वैश्विक कार्यकारी अधिकारी तथा 100 भारतीय कार्यकारी अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय कंपनियों की सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि कंपनियां स्वयं भारत के किसानों की आय दोगुनी करने तथा भारत की कृषि अर्थव्यवस्था में आमूल परिवर्तन ला सकें। उन्होंने कहा कि मेगा फूड पार्कों का निर्माण इस योजना का महत्वपूर्ण अंग है। इन फूड पार्कों से कृषि प्रसंस्करण समूहों को प्रमुख उत्पादन केंद्रों से जुड़ने में सहायता मिलेगी। इस तरह के नौ पार्क इस समय चल रहे हैं और पूरे देश में 30 से अधिक पार्कों के निर्माण की प्रक्रिया चल रही है।
वैश्विक कार्यकारी अधिकारियों ने प्रधानमंत्री को बधाई दी कि उन्होंने वस्तु एवं सेवा कर, भारत में कारोबार करने की आसानी जैसे महत्वपूर्ण संरचनात्मक सुधार शुरू किए हैं। वर्ल्ड फूड इंडिया में जर्मनी, जापान और डेनमार्क सहभागी देश हैं, जबकि इटली और नीदरलैंड फोकस देश हैं। इन देशों का प्रतिनिधित्व जापान की तरफ से भारत में उसके राजदूत महामहिम श्री केनजी हीरामत्सू, डेनमार्क की तरफ से वहां के राजदूत महामहिम श्री पीटर ताकसो- जेनसेन, नीदरलैंड की तरफ से वहां के राजदूत महामहिम श्री अल्फांसुस स्टोलिंग्स कर रहे हैं।  
खाद्य प्रसंस्‍करण क्षेत्र के लिए वरीयतापूर्ण निवेश गंतव्‍य के रूप में भारत को प्रदर्शित करने के लिए विशेष रूप से आयोजित एक सत्र में केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कंपनी मामले मंत्री श्री अरुण जेटली ने पिछले तीन वर्षों के दौरान भारत सरकार द्वारा आरंभ की गई रूपांतरकारी पहलों की चर्चा की। श्री जेटली ने कहा कि ‘खाद्य प्रसंस्‍करण एक प्राथमिकता क्षेत्र है’ जहां भारत में विनिर्मित या उत्‍पादित खाद्य उत्‍पादों, ई-कॉमर्स समेत व्‍यापार के लिए 100 प्रतिशत एफडीआई अब स्‍वीकृत है। दिन के दौरान प्रधानमंत्री एवं वित्‍त मंत्री के साथ अलग से विशिष्‍ट सीईओ गोल मेज बैठकों का भी आयोजन किया गया।
विश्‍व खाद्य भारत 2017 के उद्घाटन दिवस में 68,000 करोड़ रुपये के बराबर के 13 समझौता ज्ञापनों पर हस्‍ताक्षर किए गए। एमओयू पर हस्‍ताक्षर भारत सरकार की केंद्रीय खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर की उपस्थिति में किए गए। भारत में निवेश को लेकर गंभीर कंपनियों में पेप्सिको शामिल थी जिसने खाद्य एवं पेय पदार्थ संयंत्र की स्‍थापना के लिए 13,300 करोड़ रुपये के बराबर के एमओयू पर हस्‍ताक्षर किया। कोका कोला ने जूस बॉटलिंग अवसंरचना एवं फ्रूट प्रोसेसिंग संयंत्र एवं उपकरण की स्‍थापना के लिए 11,000 करोड़ रुपये के बराबर के एमओयू पर हस्‍ताक्षर किया। आईटीसी एवं पतंजलि दोनों ने ही इस क्षेत्र में 10,000 करोड़ रुपये-10,000 करोड़ रुपये के निवेश की प्रतिबद्धता की। इस अवसर पर एमओयू पर हस्‍ताक्षर करनेवाली अन्‍य प्रमुख कंपनियों में अमेजन, यस बैंक, यूएई की शराफ ग्रुप आदि शामिल थीं। इन एमओयू पर टिप्‍पणी करती हुई केंद्रीय खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर ने कहा कि ‘ सरकार इस क्षेत्र में निवेश करने के लिए वैश्विक एवं भारतीय फूड कंपनियों में बेशुमार दिलचस्‍पी पैदा करने में सफल रही है। ये निवेश किसानों की आय को दोगुनी करने तथा खाद्य प्रसंस्‍करण क्षेत्र में बड़ी संख्‍या में रोजगार सृजित करने में सहायता करेंगे। 

एशिया कप सेमीफ़ाइनल में भारतीय महिला टीम जीती, चीन के साथ फ़ाइनल

एशिया कप सेमीफ़ाइनल में भारतीय महिला टीम जीती, चीन के साथ फ़ाइनल
3 नवंबर 2017
भारत की महिला हॉकी टीम ने एशिया कप के सेमीफ़ाइनल में जापान को 4-2 से हराकर फ़ाइनल में प्रवेश कर लिया है.
अब रविवार को होने वाले फ़ाइनल में भारत को चीन के साथ टक्कर लेनी होगी.
भारत की ओर से गुरजीत कौर ने सातवें मिनट में पहला गोल करके सेमीफ़ाइनल मुक़ाबले में भारत
को बढ़त दे दी. इसके बाद नवजोत कौर ने फॉरवर्ड वंदना कटारिया की मदद से नवें मिनट में एक और गोल दागा. नवें मिनट में ही गुरजीत कौर ने भी एक और गोल दागकर भारत के गोल की संख्या 3 तक पहुंच गई. शुरुआती 15 मिनट का खेल भारत के नाम रहा. लेकिन जापान ने अगले क्वार्टर में शानदार वापसी करते हुए 17वें मिनट में पहला गोल कर दिया. फ़िर 28वें मिनट में जापान की ओर यू इशाबाशी ने जापान की ओर से दूसरा गोल दागा. इस समय के बाद भारत को सावधानी से खेलते हुए जापान को पेनाल्टी कॉर्नर देने से बचने की कोशिश करनी चाहिए थी. लेकिन हाफ़ टाइम के बाद भारत की ओर से जल्दबाजी वाला खेल दिखाई पड़ा. लेकिन भारत की ओर से सविता ने तीसरे क्वार्टर की शुरुआत में जापान को पेनाल्टी कॉर्नर लेने से रोक दिया.इसके बाद लालरेमसियामी ने 38 मिनट में दनदनाता हुआ गोल दागकर भारत को 4-2 से बढ़त दिला दी. आख़िरी 15 मिनट का खेल काफी तनावपूर्ण रहा लेकिन भारत की ओर से सविता ने एक भी मौके पर गोल होने नहीं दिया.वहीं, एशिया कप का दूसरा सेमीफ़ाइनल चीन और कोरिया के बीच खेला गया.इस सेमीफ़ाइनल मुक़ाबले में चीन ने जापान को हराकर फाइनल में प्रवेश कर लिया है.
Source: BBC

Friday, November 3, 2017

बैंक ग्राहकों को बताएं आधार से लिंक करने की आख़िरी तारीख

बैंक ग्राहकों को बताएं आधार से लिंक करने की आख़िरी तारीख

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आधार कार्ड को मोबाइल फ़ोन और बैंक अकाउंट से लिंक करने के मामले में अंतरिम रोक लगाने से इंकार कर दिया है.
जस्टिस एके सीकरी और अशोक भूषण की बेंच आधार कार्ड को अनिवार्य बनाने से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी.
कोर्ट ने याचिकाओं को पहले से ही मौजूद यचिकाओं के साथ टैग कर दिया और याचिकाकर्ताओं और अन्य पार्टियों से कहा कि वो इस मामले में कोर्ट की संवैधानिक बेंच के सामने अपनी दलीलें रखें.
केंद्र सरकार की तरफ से उपस्थित हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि डेटा प्रोटेक्शन बिल के संदर्भ में आधार ऐक्ट में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं. उन्होंने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएन श्रीकृष्णा की अध्यक्षता में एक कमिटी गठित की गई है जो इस पर काम कर रही है.
कोर्ट ने इस मामले में नोटिस जारी कर सभी बैंकों और मोबाइल कंपनियों से कहा कि वो बैंक अकाउंट और मोबाइल नंबर से आधार कार्ड लिंक करने के लिए ग्राहकों को संदेश भेज-भेज कर परेशान न करें और इसके लिए जो भी आख़िरी तारीख है वो अपने ग्राहकों को बताएं.
कोर्ट ने कहा कि जब तक कोर्ट आधार कार्ड से संबंधित याचिकाएं सुन रही है और संवैधानिक बेंच इसके बारे में कोई फ़ैसला नहीं दे देती, तब तक बैंक और मोबाइल कंपनियां अपने ग्राहकों को ये कहकर ना डराएं कि आधार कार्ड ना लिंक करने पर बैंक अकाउंट या फ़ोन कनेक्शन बंद कर दिए जाएंगे.
जस्टिस एके सीकरी ने बैंकों से मिल रहे संदेशों के बारे में ये भी कहा, "मैं मीडिया के सामने ये कहना नहीं चाहता लेकिन मुझे भी ऐसे संदेश मिले हैं."
केंद्र सरकार ने एक हलफनामा में कोर्ट को बताया कि प्रिवेन्शन ऑफ़ मनी लाँड्रिंग एक्ट के तहत बैंक अकाउंट्स को इस साल 31 दिसंबर तक आधार कार्ड से जोड़ना ज़रूरी बताया जा रहा है, लकिन इस तारीख को अगले साल की 31 मार्च तक बढ़ा दिया गया है.
इस तारीख तक बैंक अकाउंट से आधार कार्ड ना लिंक करने की सूरत में बैंक अकाउंट बंद नहीं किए जाएंगे.
सरकार ने कोर्ट को बताया कि नए अकाउंट खोलने के लिए आधार कार्ड पहचान के तौर पर आधार कार्ड देना अनिवार्य होगा और इसकी तारीख भी 31 मार्च कर दी गई है.
मोबाइल नंबर से आधार कार्ड को जोड़ने के बारे में केंद्र सरकार ने अपने हलफ़नामे में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार लोकनीति फाउंडेशन वर्सेस यूनियन ऑफ़ इंडिया के मामले में कहा गया है कि मोबाइल फ़ोन उपभोक्ता को छह फरवरी 2018 तक ई-केवाईसी के ज़रिए अपना वेरिफ़िकेशन करवाना होगा.
सुप्रीम कोर्ट आधार कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है. अलग अलग लोगों ने अलग अलग मुद्दों पर याचिका दायर कर आधार की संवैधानिकता को चुनौती दी है.
कुछ याचिकाओं में आधार की अनिवार्यता को चुनौती दी गई है. इसी मामले में कोर्ट ने पहले कहा था कि निजता के अधिकार का मामला जो है, उसे पहले सुलझाएं.
source BBC

Sunday, October 29, 2017

धर्म-क्यों की जाती हैं, पीपल की पूजा

क्यों की जाती हैं, पीपल की पूजा 
ॐ नमः शिवाय

एक पौराणिक कथा के अनुसार लक्ष्मी और उसकी छोटी बहन दरिद्रा विष्णु के पास गर्इ और प्रार्थना करने लगी
कि हे प्रभो! हम कहां रहें? इस पर विष्णु भगवान ने दरिद्रा और लक्ष्मी को पीपल के वृक्ष पर रहने की अनुमति प्रदान कर दी, इस तरह वे दोनों पीपल के वृक्ष में रहने लगीं।
विष्णु की ओर से उन्हें यह वरदान मिला कि जो व्यकित शनिवार को पीपल की पूजा करेगा उसे शनि ग्रह के प्रभाव से मुकित मिलेगी। उसपर लक्ष्मी की अपार कृपा रहेगी। शनि के कोप से ही घर का ऐश्वर्य नष्ट होता है।
शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा करने वाले पर लक्ष्मी और शनि की कृपा हमेशा बनी रहेगी, उसी लोक विश्वास के आधार पर लोग पीपल के वृक्ष को काटने से आज भी डरते हैं, लेकिन यह भी बताया गया हैं कि यदि पीपल के वृक्ष को काटना बहुत जरूरी हो तो उसे रविवार को ही काटा जाता हैं।
गीता में पीपल की उपमा शरीर से की गर्इ हैं। अश्वत्यम प्राहुख्ययम अर्थात अश्वत्य (पीपल) का काटना शरीर घात के समान है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी पीपल प्राणवायु का केंद्र है, यानि पीपल का वृक्ष पर्याप्त माता में कार्बन डार्इ आक्साइड ग्रहण करता है और आक्सीजन छोड़ता है।
संस्कृत में पीपल को चलदलतरू कहते है। हवा न भी हो तो पीपल के पत्ते हिलते नजर आते है। पात सरिस मन डोला-शायद थोड़ी सी हवा के हिलने की वजह से तुलसीदास के मन की चंचलता की तुलना पीपल के पत्ते के हिलने की गति से की गर्इ है।
हमारे शास्त्रों के अनुसार कल्पवृक्ष के नीचे खड़े होकर जिस वस्तु की भी कामना की जाती है वह अवश्य पूरी हो जाती है। कलियुग में लोगों के लिए कल्पवृक्ष तो सुलभ नहीं है परंतु सर्वदेवमय वृक्ष पीपल (अश्वत्थ) पर सच्चे भाव से संकल्प लेकर नियमित रूप से जल चढ़ाने, पूजा एवं अर्चना करने से मनुष्य वह सब कुछ सरलता से पा सकता है जिसे पाने की उसकी इच्छा हो। 
इसीलिए पीपल को कलियुग का कल्पवृक्ष माना जाता है। पीपल एकमात्र पवित्र देववृक्ष है जिसमें सभी देवताओं के साथ ही पितरों का भी वास रहता है। 
श्रीमद्भगवदगीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि ‘अश्वत्थ: सर्ववृक्षाणाम, मूलतो ब्रहमरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे, अग्रत: शिवरूपाय अश्वत्थाय नमो नम:’ 
अर्थात मैं वृक्षों में पीपल हूं।
पीपल के मूल में ब्रह्मा जी, मध्य में विष्णु जी तथा अग्र भाग में भगवान शिव जी साक्षात रूप से विराजित हैं। स्कंदपुराण के अनुसार पीपल के मूल में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में भगवान श्री हरि और फलों में सभी देवताओं का वास है।
भारतीय जन जीवन में वनस्पतियों और वृक्षों में भी देवत्व की अवधारणा की गई है और धार्मिक दृष्टि से पीपल को देवता मान कर पूजन किया जाता है। किसी भी धार्मिक कार्य को पूर्ण करने के लिए पीपल पर जल चढ़ाने की परम्परा है क्योंकि पूजन के समय सभी देवताओं की पूजा पीपल पर जल चढ़ाने से ही पूर्ण होती है और हवन यज्ञ के माध्यम से वनस्पतियों को प्रफुल्लित करने की कामना भी की जाती है। पीपल को जल से सींचने से सभी पापों का जहां नाश हो जाता है वहीं पितर भी प्रसन्न होकर जीव पर कृपा करते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टि से पीपल : विश्व भर के सभी वृक्ष दिन में आक्सीजन छोड़ते हैं तथा कार्बनडाइआक्साईड ग्रहण करते हैं और रात को सभी वृक्ष कार्बन-डाइआक्साईड छोड़ते हैं तथा आक्सीजन लेते हैं, इसी कारण यह धारणा है कि रात को कभी भी पेड़ों के निकट नहीं सोना चाहिए। वैज्ञानिकों के अनुसार पीपल का पेड़ ही एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो कभी कार्बन डाईआक्साइड नहीं छोड़ता वह रात दिन के 24 घंटों में सदा ही आक्सीजन छोड़ता है इसलिए यह मानव उपकारी वृक्ष है। 
क्या है पुण्यफल : पीपल के पेड़ का सिंचन, पूजन और परिक्रमा करने से जहां जीव की सभी कामनाओं की पूर्ति होती है वहीं शत्रुओं का नाश भी होता है। यह सुख सम्पत्ति, धन-धान्य, ऐश्वर्य, संतान सुख तथा सौभाग्य प्रदान करने वाला है। इसकी पूजा करने से ग्रह पीड़ा, पितरदोष, काल सर्प योग, विष योग तथा अन्य ग्रहों से उत्पन्न दोषों का निवारण हो जाता है। 
अमावस्या और शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे हनुमान जी की पूजा-अर्चना करते हुए हनुमान चालीसा का पाठ करने से कष्ट निवृत्ति होती है। प्रात: काल नियम से पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर जप, तप एवं प्रभु नाम का सिमरण करने से जीव को शारीरिक एवं मानसिक लाभ प्राप्त होता है। पीपल के पेड़ के नीचे वैसे तो प्रतिदिन सरसों के तेल का दीपक जलाना उत्तम कर्म है परंतु यदि किसी कारणवश ऐसा संभव न हो तो शनिवार की रात को पीपल की जड़ के साथ दीपक जरूर जलाएं क्योंकि इससे घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है, कारोबार में सफलता मिलती है, रुके हुए काम बनने लगते हैं।
तांबे के लोटे में जल भरकर भगवान विष्णु जी के अष्टभुज रूप का स्मरण करते हुए पीपल की जड़ में जल चढ़ाना चाहिए। वृक्ष की पांच परिक्रमाएं नियम से करनी चाहिएं। जो लोग पीपल के वृक्ष का रोपण करते हैं उनके पितृ नरक से छूटकर मोक्ष को प्राप्त करते हैं।  
क्या न करें :  शास्त्रानुसार शनिवार को पीपल पर लक्ष्मी जी का वास माना जाता है तथा उस दिन जल चढ़ाना जहां श्रेष्ठ है वहीं रविवार को पीपल पर जल चढ़ाना निषेध है। शास्त्रों के अनुसार रविवार को पीपल पर जल चढ़ाने से जीव दरिद्रता को प्राप्त करते हैं। पीपल के वृक्ष को कभी काटना नहीं चाहिए। ऐसा करने से पितरों को कष्ट मिलते हैं तथा वंशवृद्धि की हानि होती है। किसी विशेष प्रयोजन से विधिवत नियमानुसार पूजन करने तथा यज्ञादि पवित्र कार्यों के लक्ष्य से पीपल की लकड़ी काटने पर दोष नहीं लगता। 

रविवार के दिन ना करें पीपल की पूजा

शास्‍त्रों में उल्लिखित है कि जो लोग रविवार के दिन पीपल की पूजा करते हैं उन पर दरिद्रता प्रसन्‍न हो जाती है
और उनके साथ उनके घर में वास करने लगती है। ऐसी अवस्‍था में मनुष्‍य स्‍वयं अपने घर गरीबी और मुसीबतों को लेकर आता है। धन के अभाव में कई सारी परेशानियां जन्‍म लेती हैं और पारिवारिक कलह उत्‍पन्‍न होती है। इसलिए रविवार के दिन इस पवित्र वृक्ष की पूजा न करें।

पीपल की पूजा में इसका ध्‍यान रखें

पीपल के पेड़ की पूजा करते हैं तो ध्‍यान रखें कि रात आठ बजे के बाद पीपल के पेड़ के आगे दीया न जलाएं। शास्‍त्रों के अनुसार रात आठ बजे के बाद पीपल के पेड़ में देवी लक्ष्‍मी की बहन दरिद्रता वास करती है। इसलिए रात के समय पीपल के वृक्ष का पूजन निषेध है।

देवों का है वास

मान्‍यता है कि पीपल के पेड़ में देवता निवास करते हैं जिस कारण इसे काटना नहीं चाहिए किंतु अगर इसे काटना जरूरी है तो रविवार के दिन ही इस वृक्ष को काटें। पीपल के वृक्ष को काटने से पहले पीपल देवता से इसकी मांफी अवश्‍य मांगें।
लेख इंटरनेट पर उपलब्द जानकारी पर आधारित 

Saturday, October 28, 2017

धर्म -क्यों हो जाते हैं पितृ कुपित-क्यों लगता हैं पितृ दोष

क्यों हो जाते हैं पितृ कुपित-क्यों लगता हैं पितृ दोष
पितृ कौन होते हैं 
-ज्ञाताओं के अनुसार परिवार में जब किसी की अकाल मुर्त्यू होती हैं तो वह पितृ का स्थान लेता हैं और परिवार का पितृ देव बनता हैं.
-हमारे परिवार के जिन पूर्वजों का देहांत हो चुका है, उन्हें हम पितृ मानते हैं. जब तक किसी व्यक्ति की मृत्यु
के बाद उसका जन्म नहीं हो जाता वह सूक्ष्म लोक में रहता है. ऐसा मानते हैं कि इन पितरों का आशीर्वाद सूक्ष्मलोक से परिवार जनों को मिलता रहता है. पितृपक्ष में पितृ धरती पर आकर अपने लोगों पर ध्यान देते हैं और आशीर्वाद देकर उनकी समस्याएं दूर करते हैं.
-पितृ गण हमारे पूर्वज हैं जिनका ऋण हमारे ऊपर है ,क्योंकि उन्होंने कोई ना कोई उपकार हमारे जीवन के लिए किया है मनुष्य लोक से ऊपर पितृ लोक है,पितृ लोक के ऊपर सूर्य लोक है एवं इस से भी ऊपर स्वर्ग लोक है।
आत्मा जब अपने शरीर को त्याग कर सबसे पहले ऊपर उठती है तो वह पितृ लोक में जाती है ,वहाँ हमारे पूर्वज मिलते हैं अगर उस आत्मा के अच्छे पुण्य हैं तो ये हमारे पूर्वज भी उसको प्रणाम कर अपने को धन्य मानते हैं की इस अमुक आत्मा ने हमारे कुल में जन्म लेकर हमें धन्य किया इसके आगे आत्मा अपने पुण्य के आधार पर सूर्य लोक की तरफ बढती है।
वहाँ से आगे ,यदि और अधिक पुण्य हैं, तो आत्मा सूर्य लोक को भेज कर स्वर्ग लोक की तरफ चली जाती है,लेकिन करोड़ों में एक आध आत्मा ही ऐसी होती है ,जो परमात्मा में समाहित होती है  जिसे दोबारा जन्म नहीं लेना पड़ता  मनुष्य लोक एवं पितृ लोक में बहुत सारी आत्माएं पुनः अपनी इच्छा वश ,मोह वश अपने कुल में जन्म लेती हैं।
पितृ परिवार के संकटो को रोकता हैं परिवार पर अपना आशीर्वाद बनाये रखता हैं. पितृ ही परिवार का प्रथम देव होता जो पितृ लोक से परिवार अपर अपनी किर्प्या बनाये रखता हैं. सुनते हैं की तीसरी पीढ़ी के बाद अगर कोई नया पितृ का स्थान नहीं लेता तो चौथी पीढ़ी से पितृ का प्रभाव काम होता जाता हैं.
अब पहले दो बातें जानने के लिया यहाँ आवश्यक हो जाती हैं. 
१. परिवार: एक दादा की जितनी भी औलाद होती हैं फिर चाहे वह एक साथ रहे या अलग-अलग या देश में रहे या विदेश में एक परिवार कहलाता हैं.२. अकाल मुर्त्यु : अकाल मुर्त्यु का तातपर्य हैं की बिना औलाद जो पुरुष गुजर जाता हैं वह अकाल मुर्त्यु होती हैं। फिर चाहे वह छोटा बच्चा हो या बड़ी उम्र का।क्यों हो जाते हैं पितृ कुपित-क्यों लगता हैं पितृ दोष हमारे ये ही पूर्वज सूक्ष्म व्यापक शरीर से अपने परिवार को जब देखते हैं ,और महसूस करते हैं कि हमारे परिवार के लोग ना तो हमारे प्रति श्रद्धा रखते हैं और न ही इन्हें कोई प्यार या स्नेह है और ना ही किसी भी अवसर पर ये हमको याद करते हैं,ना ही अपने ऋण चुकाने का प्रयास ही करते हैं तो ये आत्माएं दुखी होकर अपने वंशजों को श्राप दे देती हैं,जिसे “पितृ- दोष” कहा जाता है।
पितृ दोष एक अदृश्य बाधा है ?ये बाधा पितरों द्वारा रुष्ट होने के कारण होती है पितरों के रुष्ट होने के बहुत से कारण हो सकते हैं ,आपके आचरण से,किसी परिजन द्वारा की गयी गलती से ,श्राद्ध आदि कर्म ना करने से ,अंत्येष्टि कर्म आदि में हुई किसी त्रुटि के कारण भी हो सकता है।इसके अलावा मानसिक अवसाद,व्यापार में नुक्सान ,परिश्रम के अनुसार फल न मिलना ,वैवाहिक जीवन में समस्याएं.,कैरिअर में समस्याएं या संक्षिप्त में कहें तो जीवन के हर क्षेत्र में व्यक्ति और उसके परिवार को बाधाओं का सामना करना पड़ता है पितृ दोष होने पर अनुकूल ग्रहों की स्थिति ,गोचर ,दशाएं होने पर भी शुभ फल नहीं मिल पाते,कितना भी पूजा पाठ ,देवी ,देवताओं की अर्चना की जाए ,उसका शुभ फल नहीं मिल पाता।पितृ दोष दो प्रकार से प्रभावित करता है ?१.अधोगति पितृ दोष : अधोगति वाले पितरों के दोषों का मुख्य कारण परिजनों द्वारा किया गया गलत आचरण ,अतृप्त इच्छाएं ,जायदाद के प्रति मोह और उसका गलत लोगों द्वारा उपभोग होने पर, विवाहादि में परिजनों द्वारा गलत निर्णय,परिवार के किसी प्रियजन को अकारण कष्ट देने पर पितर क्रुद्ध हो जाते हैं, परिवार जनों को श्राप दे देते हैं और अपनी शक्ति से नकारात्मक फल प्रदान करते हैं।२.उर्ध्वगति पितृ दोष : उर्ध्व गति वाले पितर सामान्यतः पितृदोष उत्पन्न नहीं करते ,परन्तु उनका किसी भी रूप में अपमान होने पर अथवा परिवार के पारंपरिक रीति-रिवाजों का निर्वहन नहीं करने पर वह पितृदोष उत्पन्न करते हैं। इनके द्वारा उत्पन्न पितृदोष से व्यक्ति की भौतिक एवं आध्यात्मिक उन्नति बिलकुल बाधित हो जाती है ,फिर चाहे कितने भी प्रयास क्यों ना किये जाएँ ,कितने भी पूजा पाठ क्यों ना किये जाएँ,उनका कोई भी कार्य ये पितृदोष सफल नहीं होने देता।

हमारे ऊपर मुख्य रूप से ५ ऋण होते हैं जिनका कर्म न करने(ऋण न चुकाने पर ) हमें निश्चित रूप से श्राप मिलता है ,ये ऋण हैं : मातृ ऋण ,पितृ ऋण ,मनुष्य ऋण ,देव ऋण और ऋषि ऋण।
माता एवं माता पक्ष के सभी लोग जिनमेंमा,मामी ,नाना ,नानी ,मौसा ,मौसी और इनके तीन पीढ़ी के पूर्वज होते हैं ,क्योंकि माँ का स्थान परमात्मा से भी ऊंचा माना गया है अतः यदि माता के प्रति कोई गलत शब्द बोलता है ,अथवा माता के पक्ष को कोई कष्ट देता रहता है,तो इसके फलस्वरूप उसको नाना प्रकार के कष्ट भोगने पड़ते हैं | इतना ही नहीं ,इसके बाद भी कलह और कष्टों का दौर भी परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी चलता ही रहता है |पिता पक्ष के लोगों जैसे बाबा ,ताऊ ,चाचा, दादा-दादी और इसके पूर्व की तीन पीढ़ी का श्राप हमारे जीवन को प्रभावित करता है पिता हमें आकाश की तरह छत्रछाया देता है,हमारा जिंदगी भर पालन -पोषण करता है ,और अंतिम समय तक हमारे सारे दुखों को खुद झेलता रहता है। पर आज के के इस भौतिक युग में पिता का सम्मान क्या नयी पीढ़ी कर रही है ? पितृ -भक्ति करना मनुष्य का धर्म है, इस धर्म का पालन न करने पर उनका श्राप नयी पीढ़ी को झेलना ही पड़ता है ,इसमें घर में आर्थिक अभाव,दरिद्रता ,संतानहीनता ,संतान को विबिन्न प्रकार के कष्ट आना या संतान अपंग रह जाने से जीवन भर कष्ट की प्राप्ति आदि। माता-पिता प्रथम देवता हैं, जिसके कारण भगवान गणेश महान बने | इसके बाद हमारे इष्ट भगवान शंकर जी ,दुर्गा माँ ,भगवान विष्णु आदि आते हैं ,जिनको हमारा कुल मानता आ रहा है ,हमारे पूर्वज भी भी अपने अपने कुल देवताओं को मानते थे ,लेकिन नयी पीढ़ी ने बिलकुल छोड़ दिया है इसी कारण भगवान /कुलदेवी /कुलदेवता उन्हें नाना प्रकार के कष्ट /श्राप देकर उन्हें अपनी उपस्थिति का आभास कराते हैं। जिस ऋषि के गोत्र में पैदा हुए , वंश वृद्धि की , उन ऋषियों का नाम अपने नाम के साथ जोड़ने में नयी पीढ़ी कतराती है , उनके ऋषि तर्पण आदि नहीं करती है  इस कारण उनके घरों में कोई मांगलिक कार्य नहीं होते हैं, इसलिए उनका श्राप पीडी दर पीढ़ी प्राप्त होता रहता है।ऐसे परिवार को पितृ दोष युक्त या शापित परिवार कहा जाता है रामायण में श्रवण कुमार के माता -पिता के श्राप के कारण दशरथ के परिवार को हमेशा कष्ट झेलना पड़ा,ये जग -ज़ाहिर है इसलिए परिवार कि सर्वोन्नती के पितृ दोषों का निवारण करना बहुत आवश्यक है।पितृ दोष निवारण :
पितृ पक्ष में पितरों को श्रद्धा अर्पित करने का कर्म श्राद्ध कहलाता है।
घर में पितृ शांति, पितृ दोष निवारण के लिए ये उपाय जरूर करे:-
-शराब का त्याग करे -मांसाहारी भोजन का त्याग करे
-बुराइयों का त्याग करे 
-भगवान शिव शंकर से प्रार्थना करें - की हे भोले नाथ मेरे पितृ देवताओं और हमारे द्वारा जो भी पाप कर्म या गलतियां हुयी हैं उन्हें क्षमा कर दे और हम पर किर्प्या करे. हमारे पितरों को पितृलोक में उच्च स्थान दे. मेरे द्वारा किये गए पुण्य कर्मो का पुण्य मेरे पितरो को दे, इस प्रार्थना के बाद भोले नाथ की नियमित पूजा करें।
-पितरों के नाम से पुण्य कर्म करे और उनका पुण्य पितरो को दे
-पितरो के नाम से पूजा - हवन कराये
-घर के बाहर प्रतिदिन सरसों के तेल का दीपक जलाये
-प्रत्येक शनिवार को शिवलिंग पर सरसो का तेल अर्पित करे।  सरसो के तेल का दीपक जलाये
-
प्रत्येक शनिवार को पीपल के पेड़ पर 
सरसो के तेल का दीपक जलाये और हनुमान चालीसा का पाठ करे -माँ - बाप घर के बड़े बुढो का सम्मान करे इनकी सेवा करे, प्रतिदिन माँ - बाप और घर में जो भी बड़ा बूढ़ा हो उनके पेअर छूकर आशीर्वाद ले।  घर के बड़े - बूढ़े और माँ - बाप के आशीर्वाद से सरे श्राप व बुराइया , बुरी आत्माये दूर हो जाती हैं 
श्राद्ध संस्कार- जीवन का एक अबाध प्रवाह है ।। काया की समाप्ति के बाद भी जीव यात्रा रुकती नहीं है ।। आगे
का क्रम भी भली प्रकार सही दिशा में चलता रहे, इस हेतु मरणोत्तर संस्कार किया जाता है ।। सूक्ष्म विद्युत तरंगों के माध्यम से वैज्ञानिक दूरस्थ उपकरण का संचालन (रिमोट ऑपरेशन) कर लेते हैं ।। श्रद्धा उससे भी अधिक सशक्त तरंगें प्रेषित कर सकती है ।। उसके माध्यम से पितरों- को स्नेही परिजनों की जीव चेतना को दिशा और शक्ति तुष्टि प्रदान की जा सकती है ।। मृत्यु के पश्चात् भी पितरों का श्राद्ध संस्कार द्वारा अपनी इसी क्षमता के प्रयोग से पितरों की सद्गति देने और उनके आशीर्वाद पाने का क्रम चलाया जाता है ।। पितर हमारे अदृश्य सहायक बनें, मार्गदर्शक बनें और अपना आशीर्वाद देते रहें, इसी कामना से पितृ पक्ष के 15 दिन प्रयास किया जाता है।
घर में यदि पूर्वजों का पूजन का स्थान बना हुआ है, तो रोज़ शाम को घी या सरसों तेल का दीपक ज़रूर जलाएं।पितरों की मुक्ति हेतु गायत्री का अनुष्ठान करना या करवाना लाभदायक होता है।पितरों की मुक्ति हेतु गायत्री यज्ञ करना या करवाना भी लाभदायक होता है।शनिवार को पीपल के वृक्ष पर दोपहर में जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढ़ाएं और स्वर्गीय परिजनों का स्मरण कर उनसे आशीर्वाद मांगना लाभदायक होता है।यदि आपके पूर्वजों ने आपके पितरो के लिए कोई स्थान बनाया है तो होली, दीपावली एवं अन्य त्यौहार पर उस स्थान पर जाकर पूजा करनी चाहिए।स्त्री यदि ससुराल में बहु रूप में रहती है तो पति के पितर ही उसके पूज्य होंगे। स्त्री यदि मायके में रहती है और उसका पति घर जवाई बन के रहता है तो दोनों मायके पक्ष के ही पितर पूजेंगे।मायके और ससुराल के दोनों पितरों को एक साथ एक आसन में पूजन नहीं किया जाता है।हाँ बारी बारी दो बार में कर सकते हैं। श्राद्ध संस्कार में भी बारी बारी ही करवाया जाता है।पितृ पक्ष, अमावस्या, पूर्णमासी, त्यौहार आदि पर पितरो के नाम से कौवा और चिड़ियों को दाना डालें और पानी दें। पका हुआ भोजन न दें, पके तेल मसाले युक्त भोजन से पक्षीयो को नुकसान हुआ तो पुण्य की जगह पाप के भागीदार बनेंगे।दो संध्याओं में नियमित गायत्री उपासना, दो नवरात्र में व्रत करने वाले ब्राह्मण या ब्राह्मणी मिले तो ही पितृ पक्ष में उन्हें भोजन करवाएं। अगर वो ब्रह्ममय न हुए तो कोई लाभ नहीं मिलेगा।जीवित माता-पिता एवं भाई-बहनों का आदर-सत्कार करना चाहिए। हर अमावस को अपने पितरों का ध्यान करते हुए पीपल पर कच्ची लस्सी, गंगाजल, थोड़े काले तिल, चीनी, चावल, जल, पुष्पादि चढ़ाते हुए ॐ पितृभ्यः नमः मंत्र तथा पितृ सूक्त का पाठ करना शुभ होगा।
हर संक्रांति, अमावस एवं रविवार को सूर्य देव को ताम्र बर्तन में लाल चंदन गंगाजल, शुद्ध जल डालकर बीज मंत्र पढ़ते हुए तीन बार अर्घ्य दें। श्राद्ध के अतिरिक्त इन दिनों गायों को चारा तथा कौए, कुत्तों को दाना एवं असहाय एवं भूखे लोगों को भोजन कराना चाहिए।नारायण नागबलिनारायण नागबलि पूजा के त्र्यम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग मन्दिर महाराष्ट्र में संपर्क करे. 
नारायण नागबलि ये दोनो विधी मानव की अपूर्ण इच्छा , कामना पूर्ण करने के उद्देश से किय जाते है इसीलिए ये दोने विधी काम्यू कहलाते है। नारायणबलि और नागबपलि ये अलग-अलग विधीयां है। नारायण बलि का उद्देश मुखत: पितृदोष निवारण करना है । और नागबलि का उद्देश सर्प/साप/नाग हत्याह का दोष निवारण करना है। केवल नारायण बलि यां नागबलि कर नहीं सकतें, इसगलिए ये दोनो विधीयां एकसाथ ही करनी पडती हैं।
निम्नालिखीत कारणोंके लिऐ भी नारायण नागबलि की जाती है।
  • संतती प्राप्तीर के लिए
  • प्रेतयोनी से होनवाली पीडा दुर करने के लिए
  • परिवार के किसी सदस्य के दुर्मरण के कारण इहलोक छोडना पडा हो उससे होन वाली पीडा के परिहारार्थ (दुर्मरण:याने बुरी तरह से आयी मौत ।अपघा, आत्म‍हत्याद और अचानक पानी में डुब के मृत्यु होना इसे दुर्मरण कहते है)
  • प्रेतशाप और जारणमारण अभिचार योग के परिहारार्थ के लिऐ।
पितृदोष निवारण के लिए नारायण नागबलि कर्म करने के लिये शास्त्रों मे निर्देशित किया गया है । प्राय: यह कर्म जातक के दुर्भाग्य संबधी दोषों से मुक्ति दिलाने के लिए किये जाते है। ये कर्म किस प्रकार व कौन इन्हें कर सकता है, इसकी पूर्ण जानकारी होना अति आवश्‍यक है।
ये कर्म जिन जातकों के माता पिता जिवित हैं वे भी ये कर्म विधिवत सम्पन्न कर सकते है। यज्ञोपवीत धारण करने के बाद कुंवारा ब्राह्मण यह कर्म सम्पन्न करा सकता है। संतान प्राप्‍ती एवं वंशवृध्दि के लिए ये कर्म सपत्‍नीक करने चाहीए। यदि पत्‍नी जीवित न हो तो कुल के उध्‍दार के लिए पत्‍नी के बिना भी ये कर्म किये जा सकते है । यदि पत्‍नी गर्भवती हो तो गर्भ धारण से पाचवे महीनेतक यह कर्म किया जा सकता है। घर मे कोई भी मांगलिक कार्य हो तो ये कर्म एक साल तक नही किये जाते है । माता या पिता की मृत्यु् होने पर भी एक साल तक ये कर्म करने निषिध्द माने गये है।
नारायण बलि कर्म विधि हेतु मुहुर्त
सामान्यतया: नारायण बलि कर्म पौष तथा माघ महिने में तथा गुरु, शुक्र के अस्तगंत होने पर नही किये जाने चाहीए। परंन्‍तु 'निर्णय सिंधु' के मतानुसार इस कर्म के लिए केवल नक्षत्रो के गुण व दोष देखना ही उचित है। नारायण बलि कर्म के लिए धनिष्ठा पंचक एक त्रिपाद नक्षत्रा को निषिध्द माना गया है । धनिष्ठा नक्षत्र के अंतिम दो चरण, शततारका , पुर्वाभाद्रपदा, उत्तराभाद्रपदा एवं रेवती इन साढे चार नक्षत्रों को धनिष्ठा पंचक कहा जाता है। कृतिका, पुनर्वसु उत्तरा विशाखा, उत्तराषाढा और उत्‍तराभाद्रपदा ये छ: नक्षत्र 'त्रिपाद नक्षत्र' माने गये है।
कृपया ध्‍यान दे
  • नारायण नागबली पूजा 3 दिनों की है जिसमे विधी करने वालोको 3 दिन त्र्यंबकेश्वर मे रुकना पडता है।
  • कृपया मुहर्त के एक दिन पहले या सुबह जल्दी 6 बजे तक त्र्यंबकेश्वर मे पहुचना पडता है
  • इस विधी की दक्षना मे सभी पूजा सामग्री और 2 व्यक्तियों के लिए खाने कि व्यवस्था हमारे तरफ से होती है
  • कृपया आप के साथ नये सफेद कपड़े धोती, गमछा (नैपकिन), और आपकी पत्‍नी के लिये साड़ी, ब्लाउज जिसका रंग काला या हरा नही होना चाहीये।
  • इस विधी के लिए आपको एक 1.25 ग्राम सोने का और 8 चांदीके नाग लेके आना है।
  • विधी के चार दिन पहले कृपया फोन करके हमे अवगत कराये।
ॐ नमः शिवाय 

Wednesday, October 25, 2017

President Donald J. Trump

President Donald J. Trump

Donald J. Trump is the 45th President of the United States. He believes the
United States has incredible potential and will go on to exceed anything that it has achieved in the past. His campaign slogan was Make America Great Again, and that is exactly what he intends to do.
Donald J. Trump is the very definition of the American success story. Throughout his life he has continually set the standards of business and entrepreneurial excellence, especially with his interests in real estate, sports, and entertainment. Likewise, his entry into politics and public service resulted in the Presidential victory in, miraculously, his first ever run for office.
After graduating from the Wharton School of Finance, Mr. Trump followed in his father’s footsteps as a real estate developer, and he entered the world of real estate development in New York. The Trump signature soon became synonymous with the most prestigious of addresses in Manhattan and subsequently throughout the world. An accomplished author, Mr. Trump has authored over fourteen bestsellers and his first book, The Art of the Deal, in addition to being the #1 book of the year, is considered a business classic.
Mr. Trump announced his candidacy on June 16, 2015, and after seventeen Republican contenders suspended their campaigns, he accepted the Republican nomination for President of the United States in July of 2016. Mr. Trump won the election on November 8 of 2016 in the largest electoral college landslide for a Republican in 28 years. He won over 2,600 counties nationwide, the most since President Reagan in 1984. Additionally, he won over 62 million votes in the popular vote, the highest all-time for a Republican nominee. He also won 306 electoral votes, the most for a Republican since George H.W. Bush in 1988. Millions of Americans rallied behind his message of rebuilding our country and disrupting the status quo—this was a truly national victory and a historic movement.
Donald J. Trump campaigned in places he knew Republicans have had difficulty winning—Flint, Michigan, charter schools in inner-city Cleveland, and Hispanic churches in Florida—because he wanted to bring his message of economic empowerment to all Americans. Millions of new Republicans trusted Mr. Trump with their vote because of his focus on delivering prosperity through better trade deals, and as a result there were healthy margins of victory in newly red areas. It is clear that President Trump’s win is one that brought Americans of all backgrounds together, and he is ready to deliver results for the nation on day one and every day of his tenure.
President Trump has been married to his wife, Melania, for twelve years and they are parents to their son, Barron.  Additionally, Mr. Trump has four adult children, Don Jr., Ivanka, Eric and Tiffany, and eight grandchildren. 

Monday, October 23, 2017

A Massive Cave Has Been Found On The Moon

A Massive Cave Has Been Found On The Moon
Scientists from Japan reckon they've found the perfect place for a lunar base - a 100m wide cavern.
Japan's SELENE lunar orbiter confirmed the existence of the 50km long cavern, which is believed to be a lava tube, created by volcanic activity around 3.5 billion years ago. The discovery could be good news for the US and Russia, both of which have recently refocused their attentions on the moon.
As yet no astronauts have been inside the cavern, but Japan Aerospace Exploration Agency (Jaxa) plan to put a Japanese astronaut on the moon by 2030, according to the Guardian.
The finding was published in the US magazine Geophysical Research Letters last week. It's thought that the cave, which is in the Marius Hills area of the moon, could offer astronauts some natural protection from extreme temperatures, which can range from an average of 107C during and -153C at night, and ultraviolet rays from the sun. Experts think it could be the perfect place to start building.
Junichi Haruyama, a senior researcher at Jaxa said: "We've known about these locations that were thought to be lava tubes ... but their existence has not been confirmed until now."
He added that such spaces 'might be the best candidate sites for future lunar bases, because of their stable thermal conditions and potential to protect people and instruments from micrometeorites and cosmic ray radiation'.
Haruyama went on: "The same stable and protected environment that would benefit future human explorers also makes them an enticing target for scientific study.
"Careful examination of their interiors could provide unique insights concerning the evolutionary history of the moon."
Russia has already expressed an interest in colonising the moon, starting with just four people, by 2030.
China has also announced it would be sending people to the moon in 2036 as part of a longer plan to 'explore, land and settle', according to the BBC.
Meanwhile, Vice President Mike Pence, said recently: "We will return American astronauts to the moon, not only to leave behind footprints and flags, but to build the foundations we need to send Americans to Mars and beyond."
Exciting stuff.
Sources: The Guardian; New York Post

अगर हो जाए चैक बांउस तो क्या करें ?


अगर हो जाए चैक बांउस तो क्या करें ?
 
पराक्रम्य लिखित अधिनियम, 1881 
 (The Negotiable Instruments Act, 1881)
नगदी के लेनदेन के झंझट से बचने का एक बेहतर उपाय होता हैं, चैक के द्वारा भुगतान लेना और देना, लेकिन खाते में रकम न होने के कारण चैक लौट आने से पैदा होने वाले परिणाम अपराध की श्रेणी में आते हैं। भारत की अदालतों में सर्वाधिक मुकद्दमें चैकों के भुगतान की विफलता से जुड़े हुए हैं। हालिया खबरों के अनुसार सिर्फ दिल्ली में ही चैक बाउंस के पांच लाख से ज्यादा मुकद्दमें अदालतों में चल रहे हैं। चैक के भुगतान की विफलता संबंधी कानूनी कार्यवाही और उसके दौरान आने वाली मुसीबतों से बचाव के संबंध में निम्नलिखित जानकारी सहायक रहेगी। 

डा0 केएस भाटी, सिनिअर अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट
संरक्षक, सोशल डेवलेपमैंट वेलफेयर सोसाइटी (रजि0 एनजीओ)
नि:शुल्क कानूनी सलाह के लिए संपर्क करें:-
Social Development Welfare Society (Regd. NGO)

email: sdwsngo@gmail.com
Naresh Lamba, President SDWS
Mb. no. 9891550792





 चैक द्वारा भुगतान की विफलता
लोग अपने लेन-देन के निपटारे के लिए अक्सर चैक जारी करते हैं, ऐसा करने से पहले उन्हें सुनिशिचत करना चाहिए कि क्या उनके खाते में पर्याप्त रकम हैं या उन्होंने पहले से आगे की तिथि के कुछ चैक तो नहीं जारी किए हुए हैं, जिनकी वजह से खाते में पर्याप्त पैसा नहीं रहेगा। लोगों को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि पराक्रम्य लिखित अधिनियम  (The Negotiable Instruments Act, 1881) की धारा 138 के तहत चैक भुगतान की विफलता एक अपराध हैं।
क्या है धारा 138
बैंक खाता धारक द्वारा जारी किया गया कोर्इ चैक यदि किसी कर्ज या बिल को चुकाने के लिए दिया गया हैं और वह खाते में अपर्याप्त रकम के आधार पर चैक बिना भुगतान के वापिस आ जाता हैं, तो यह एक अपराध हैं, जिस कारण दो साल तक की सजा या चैक की रकम की दुगनी रकम तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं, लेकिन इसकी निम्नलिखित तीन शर्तें हैं-
1. चैक बाउंस होना एक अपराध हैं, जब बैंक में तीन महीने में या उतने समय के अंदर चैक पेश किया जाए, जितने समय तक वह वैध हैं।
2. चैक पाने वाला बैंक में चैक पेश करता हैं। जिस तारीख को उसे बैंक से चैक बाउंस होने की खबर मिलती हैं, उसके 30 दिनों के अंदर चैक जारी करने वाले को नोटिस भेजा जाए। इस नोटिस में बताया जाता हैं कि रकम का भुगतान किया जाए।
3. अगर चैक देने वाला नोटिस मिलने के 15 दिन के अंदर चैक की रकम का भुगतान न करें।
ध्यान दें कि चैक जब तक (तीन महीने तक) वैध हैं, तब-तक वह कर्इ बार बैंक में पेश किया जा सकता हैं। 
देनदार का चैक बाउंस होने पर क्या करें
कानूनी नोटिस दें
1. बैंक से चैक बाउंस होने की सूचना मिलने पर चैक जारी करने वाले को 30 दिनों के अंदर नोटिस भेज दें। यह नोटिस खुद अथवा वकील के जरिए भेजा जा सकता हैं। नोटिस मौखिक या लिखित में, स्वयं, प्रतिनिधि या डाक द्वारा भेजा जा सकता हैं। किंतु मौखिक नोटिस को साबित करना कठिन होता हैं।
2. नोटिस मिलने पर 15 दिनों के अंदर चैक जारी करने वाला यदि चैक राशि का भुगतान नहीं करता हैं, तो 15 दिन बीतने के बाद क्रिमिनल कोर्ट में मुकदमा दायर  करें। आप अपने घर के नजदीक वाले जिला न्यायालय में मैट्रोपालिटन मेंजिस्ट्रेट या जुडि़शल मेंजिस्टे्रट के यहां मुकद्दमा कर सकते हैं।
सावधानियां  
वकालतनामा एवं जरूरी स्टैंप लगाकर शिकायत दर्ज करें।
-खर्च लगभग 200 रूपये
-मुकद्दमा (कंपलेंट पिटिशन) एक एफिडेविट (शपथ पत्र) के साथ दाखिल की जाती हैं, जिसमें मुख्यत: लिखा होता हैं कि (कंपलेंट) शिकायत की सारी बातें सच हैं और उसकी जानकारी शिकायत कत्र्ता को हैं।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां  
1. यदि नोटिस डाक से भेजने पर यह बताया जाए कि आरोपी घर पर नहीं था या पत्ता नहीं मिला, तब भी नोटिस का तामील होना माना जाएगा।
2. यदि एक बार नोटिस बिना प्रापित के लौट आता हैं तो दोबारा भेजा जा सकता हैं, पर कार्यवाही उस दिन से लागू होगी जिस दिन पहला नोटिस भेजा गया था।
3. यदि शिकायत (कंपलेंट) 30 दिन के बाद दाखिल की जाती हैं, तो देरी को माफ किए जाने की दरख्वास्त देनी पड़ती हैं। देरी की वजह उचित, पर्याप्त और विश्वसनीय होनी चाहिए।
4. वस्तुओं की सप्लार्इ के लिए कान्ट्रैक्ट जिस प्रदेश में (दिल्ली) होता हैं और माल की आपूर्ति भी दिल्ली में होती हैं परंतु चैक पं0 बंगाल से जारी होता हैं, जहां चैक जारी करने वाले का आफिस हैं, ऐसी परिस्तिथि  में कोर्ट का क्षेत्राधिकार दिल्ली होगा न कि पं0 बंगाल।
5. चैक कर्ज अदायगी के लिए दिया गया या कर्ज की सिक्यूरिटी के बतौर, इससे मुकद्दमें पर कोर्इ फर्क नहीं पड़ता।
6. यदि चैक जारी करने वाले का चैक एक बार बाउंस हो जाए और चैक पाने वाले के कहने पर चैक जारी करने वाला उसकी अवधि तीन महीने आगे बढ़ा देता हैं किंतु चैक फिर बाउंस हो जाता हैं, तो चैक जारी करने वाला यह नहीं कह सकता कि वह बढ़ार्इ गर्इ तारीख पर चैक बाउंस होने पर अपराध से मुक्त हो गया । इस बढ़ी अवधि के आधार पर ही मुकद्दमा चलेगा।
7. यदि चैक जारी करने वाले को सजा एवं जुर्माना हो जाता हैं और उसके बाद दोनों पक्षों में सुलह हो जाती हैं तो सजा एवं जुर्माना अदालत द्वारा रद्द किये जा सकते हैं।
8. आरोपी के लिए यह जरूरी नहीं हैं कि वह शिकायत (कंपलेंट) झुठलाने के लिए अपनी तरफ से गवाह लाए। वह शिकायत दर्ज करानेवाले का क्रास एग्जामिनेशन कर सकता हैं।
9. चैक यदि यह कह कर लौटा दिया जाता हैं कि अकाउंट बंद कर दिया गया हैं तो भी धारा 138 के अंर्तगत अपराध हो जाता हैं।
10. आगामी तारीख में जारी चैक की वैधता (पोस्ट डेटेड चैक की वैलिडिटी) उस दिन से शुरू होती हैं जिस दिन की तारीख उस पर लिखी हैं।
11. धारा 138 के तहत चैक पाने वाले का (आथोराइज्ड एजेंट) अधिकृत प्रतिनिधि भी मुकद्दमा दायर कर सकता है।
12. नोटिस में यह नहीं भी लिखा हो कि 15 के अंदर भुगतान करें, तब भी 15 दिन के अंदर-अंदर ही भुगतान किया जाना हैं।
अगर चैक बाउंस हो-
-चैक बांउस होने पर अपने नजदीकी मेट्रोपालिटन या फस्र्ट क्लास जुडिशल मैजिस्ट्रेट की कोर्ट में केस दायर करें।
-ध्यान रखें कि इस अपराध में किसी भी लेवल पर पेंमेट और केस लड़ने में खर्च हुर्इ रकम चुकाकर समझौता किया जा सकता हैं।
इस अपराध में न्यायिक कार्यवार्इ की वास्तविक मंशा चैक पाने वाले को उसके पैसे दिलवाना हैं, अभियुक्त को जेल भेजना नहीं। सजा होने पर भी चैक प्रदाता चैक प्राप्तकत्र्ता को रूपये देकर या कोर्इ और समझौता की अदालत में सुलह की अर्जी डाल सकता हैं और जेल जाने से बच सकता हैं।
-चैक जारी करने वाला खुद से एक वकालतनामा फाइल कर केस की पहली तारीख पर हाजिर होकर अदालत से कहे कि उसे एक-दो महीने का वक्त दिया जाए। इस दौरान वह चैक राशि का भुगतान करके पहली ही तारीख पर बैंक ड्राफ्ट या नकद राशि अदालत के सामने चैक पाने वाले को देकर मुकद्दमा बंद करवा सकता हैं।
-अगर केस की पहली तारीख के दौरान पूरा अमाउंट देना मुमकिन नहीं हो पा रहा हैं तो कोर्ट से किस्त बंधवाकर या एक और तारीख लेकर उस दिन तक पेमंट किया जा सकता हैं। ऐसा करते ही मुकद्दमा बंद किया जा सकता हैं।
-चैक देने वाला अपने बचाव में कह सकता हैं कि उसने चैक जारी नहीं किया, लेकिन इस तरह के बचाव में वजह सच्ची होनी चाहिए।
चैक बाउंस में जुर्माने की रकम दोगुनी से अधिक नहीं हो सकती
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में कहा गया हैं कि अदालतें चैक बांउस मामले में उस चैक की राशि से दोगुना से अधिक जुर्माना नहीं लगा सकतीं। न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर और विक्रमजीत सेन की पीठ ने कहा कि पहली और सबसे बड़ी बात यह हैं कि जुर्माना लगाने के अधिकार को कानून के तहत चैक की राशि के दोगुुना तक ही सीमित रखा जाए। कलकत्ता हार्इ कोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए उच्चत्तम न्यायालय ने उपर्युक्त आदेश दिया। उच्च न्यायालय ने सोमनाथ सरकार नाम के एक व्यकित पर 69 हजार 500 रूपये का चैक बाउंस होने पर एक लाख 49 हजार 500 रूपये भुगतान करने का निर्देश दिया था। इस मामले में निचली अदालत ने उसे 6 माह जेल के साथ चैक बाउंस होने के मामले में 80 हजार रूपये क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ आरोपी सोमनाथ ने हार्इ कोर्ट में अपील की। हार्इ कोर्ट ने इसके अलावा अलग से 69 हजार 500 रूपये भुगतान करने का निर्देश दे दिया और जेल की सजा खत्म कर दी। इसके बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह कहते हुए दया याचिका दायर की थी कि वह इतनी बड़ी रकम अदा करने में असमर्थ हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हार्इ कोर्ट का आदेश दरकिनार करते हुए जुर्माने की राशि को 69 हजार 500 से घटाकर 20 हजार रूपये कर दिया।
चेक बाउंस होने पर एक नहीं दो मुकदमे चल सकते हैं
सावधान हो जाएं। चेक बाउंस होने पर आपके खिलाफ एक नहीं दो मुकदमे चल सकते हैं। एक तो चेक बाउंस होने का और दूसरा धोखाधड़ी करने का। सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि दो मुकदमों की सुनवाई दोहरे खतरे के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करते। न्यायमूर्ति बी एस चौहान और जे एस खेहर की पीठ ने गुजरात के रहने वाली संगीताबेन महेंद्रभाई पटेल की अपील खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी है। इस मामले में संगीताबेन ने गुजरात के पाटन सिथत मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित धोखाधड़ी और विश्वासघात के मामले को खारिज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। वह सुप्रीम कोर्ट इस तर्क के साथ पहुंची थी कि दोहरे खतरे के सिद्धांत के मुताबिक, एक अपराध के लिए उस पर दो बार मुकदमा नहीं चल सकता। संविधान के अनुच्छेद 22 और आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 300 (1) में प्रावधान किया गया है कि एक ही अपराध के लिए किसी व्यकित को दो बार सजा नहीं दी जा सकती। शीर्ष कोर्ट ने उसकी अपील खारिज करते हुए कहा कि यह सिद्धांत किसी अपराध के मामले की सुनवाई पर रोक नहीं लगाता। यह केवल उन सुबूतों से किसी सच्चाई को साबित करने से रोकता है जिनका इस्तेमाल पहले किसी आपराधिक मामले की सुनवाई में हो चुका है। वर्ष 2003 में 20 लाख रुपये का चेक बाउंस के मामले में संगीताबेन को निचली अदालत ने खरीद-फरोख्त दस्तावेज (एनआइ) कानून के तहत दोषी करार दिया था। जिसे चेक दिया गया था उसने 6 फरवरी 2004 को पुलिस के पास भी शिकायत दर्ज कराई थी और संगीताबेन पर विश्वासघात व धोखाधड़ी का आरोप लगाया था।
 
हरिओम गुप्ता को वापिस मिली रकम
एक साथी गुप्ता को दिया फेरंड्रली लोन वापिस न मिलने और उसके द्वारा दिया गया चैक बाउंस हो जाने के बाद गुप्ताजी ने समाजिक संस्था सोशल डेवलपमेंट वेलफेयर सोसाइटी द्वारा संचालित निशुल्क कानून सलाह केंद्र में संपर्क किया, और जिला न्यायालय द्वारका में वकील के द्वारा मामला दर्ज कराया, जिस पर केवल 6-7 तारीखों की सुनवार्इ के बाद न्यायालय द्वारा पूरी रकम ब्याज सहित लौटाने का फैसला सुनाया गया। न्यायालय के फैसले के बाद गुप्ताजी को अपनी रकम वापिस मिल गर्इ।

3 साल बाद हुआ समझौता, फैसले में देरी से नहीं हो पाती नुकसान की भरपार्इ
अपनी पीड़ा बताते हुए बिजली के सामान के विक्रेता दिवाकर गुप्ता ने बताया कि उनके मुकद्दमे में 3 साल बाद समझौता हुआ और केवल 10 प्रतिशत सालाना ब्याज दर के साथ ही रकम वापिस मिली। एचओ इलेक्ट्रीकल कालकाजी कोंटे्रक्टर ने उनसे 3 लाख का सामान लिया। जिसके एवज में 1 महीने बाद की तारीख का चैक दिया। दो बार चैक बाउंस होने के बाद उन्होंने कोर्ट में मुकद्दमा दायर किया, जिससे 3 साल मुकद्दमा चला और ब्याज व रकम प्राप्त हुर्इ। गुप्ता बताते हैं कि ब्याज से ज्यादा तो उनकी धनराशि मुकद्दमे में ही लग गर्इ और मानसिक परेशानी भी हुर्इ और प्रत्येक तारीख पर पूरा दिन लग जाता था।

ठेकेदार ने समझौता कर दी दुकानदार की पेमेंट 
सेनेट्री एवं टाइलस के दुकानदार नवीन गुप्ता से भवन निर्माण करने वाले ठेकेदार जब्बारअली अंसारी ने लगभग 30 हजार की टाइल व अन्य सामान खरीदा, जिसके एवज में उसने एक हफ्ते बाद की तारीख का चैक दिया, जो बाद में खाते में पर्याप्त धन न होने के कारण वापिस आ गया। पेमेंट देने में टाल-मटोल करने के बाद नवीन गुप्ता ने ठेकेदार को लीगल नोटिस भेज दिया। लीगल नोटिस का जवाब न आने के बाद नवीन गुप्ता ने कोर्ट की शरण ली। कोर्ट द्वारा लीगल नोटिस जारी किए जाने के बाद बावजूद भी ठेकेदार कोर्ट में उपसिथत नहीं हुआ, तो कोर्ट ने अरेस्ट वारंट जारी कर दिया। साल भर में लगभग 6-7 तारीखों के बाद ठेकेदार ने समझौता कर लिया और दुकानदार को ब्याज सहित रकम लौटानी पड़ी।

धर्म-भगवान शिव के मंत्र-महामृत्युंजय मंत्र

धर्म-भगवान शिव के मंत्र-महामृत्युंजय मंत्र
 ऊं नमः शिवाय 

"महामृत्युंजय मंत्र" भगवान शिव का सबसे बड़ा मंत्र माना जाता है। हिन्दू धर्म में इस मंत्र को प्राण रक्षक और महामोक्ष मंत्र कहा जाता है। मान्यता है कि महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjay Mantra) से शिवजी को प्रसन्न करने वाले जातक से मृत्यु भी डरती है। इस मंत्र को सिद्ध करने वाला जातक निश्चित ही मोक्ष को प्राप्त करता है। यह मंत्र ऋषि मार्कंडेय द्वारा सबसे पहले पाया गया था।
महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjay Mantra in Hindi)
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ (Meaning of Mahamrityunjay Mantra in Hindi)
हम तीन नेत्र वाले भगवान शंकर की पूजा करते हैं जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं, जो सम्पूर्ण जगत का पालन-पोषण अपनी शक्ति से कर रहे हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि जिस प्रकार एक ककड़ी अपनी बेल में पक जाने के उपरांत उस बेल-रूपी संसार के बंधन से मुक्त हो जाती है, उसी प्रकार हम भी इस संसार-रूपी बेल में पक जाने के उपरांत जन्म-मृत्यु के बंधनों से सदा के लिए मुक्त हो जाएं तथा आपके चरणों की अमृतधारा का पान करते हुए शरीर को त्यागकर आप ही में लीन हो जाएं और मोक्ष प्राप्त कर लें।
महामृत्युंजय मंत्र के फायदे (Benefits of Mahamrityunjay Mantra)
यह मंत्र व्यक्ति को ना ही केवल मृत्यु भय से मुक्ति दिला सकता है बल्कि उसकी अटल मृत्यु को भी टाल सकता
है। कहा जाता है कि इस मंत्र का सवा लाख बार निरंतर जप करने से किसी भी बीमारी तथा अनिष्टकारी ग्रहों के दुष्प्रभाव को खत्म किया जा सकता है। इस मंत्र के जाप से आत्मा के कर्म शुद्ध हो जाते हैं और आयु और यश की प्राप्ति होती है। साथ ही यह मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।

 ऊं नमः शिवाय 
भगवान भोलेनाथ सब पर किर्प्या करे 
भोलेनाथ की महिमा पढ़ने वाले शराब अन्य नशे और मांस आदि का त्याग करे