Tuesday, July 2, 2013

Street Reporter Year 1 Vol 10 {16.6.2013-30.6.2013}

द्वारका को जोड़ने वाली दो मुख्य परियोजनाएं अटकी फिर से अधर में
जमीन अधिग्रहण न कर पाने और धन के अभाव के कारण बिजवासन फ्लाई ओवर और अंडरपास का रूका काम
स्ट्रीट रिपोर्टरः नजफगढ़ व द्वारका को कापसहेड़ा से जोड़ने वाले मुख्य मार्ग और दिल्ली-रेवाड़ी रेलवे लाइन पर बनाए जा रहे फ्लाई ओवर और अंडर पास का काम फिलहाल अटक गया है। लगभग 70 प्रतिशत पूरे हो चुके काम के बाद बाकी बचे कार्य के लिए धन की कमी आड़े आ रही है। इसके लिए अभी तक दिल्ली सरकार ने न तो पैसा ही पूरा दिया है और न ही अभी तक आवश्यक जमीन का अधिग्रहण किया गया है। दिल्ली-रेवाड़ी रेलवे लाइन पर बनाए जा रहे फ्लाई ओवर की लम्बाई लगभग डेढ़ किलोमीटर है। चार लेन का फ्लाईओवर नजफगढ़-कापसहेड़ा यातायात के लिए तथा दो लेन का अंडर पास स्थानीय लोगों की आवाजाही के लिए निर्माणधीन है। इससे पहले फ्लाई ओवर निर्माण से जुड़े हुए अधिकारियों ने मार्च 2013 में घोषणा की थी कि जून तक फ्लाई ओवर यातायात के लिए खोल दिया जाएगा । यह फ्लाई ओवर बिजवासन में प्रस्तावित मेगा टर्मिनल से भी जुड़ा हुआ है। यह योजना लगभग 60 करोड़ की लागत से पूरी की जाएगी, जिसमें एक हिस्सा रेलवे तथा लगभग 30 करोड़ दिल्ली सरकार ने देने थे। 

डाबड़ी फ्लाई ओवर की राह में आए बीस सूत्री कार्यक्रम के प्लाट व चैपाल, 3 वर्ष पिछड़ चुकी है परियोजना
स्ट्रीट रिपोर्टरः द्वारका को पश्चिमी दिल्ली से जोड़ने वाले दिल्ली नगर निगम द्वारा बनाए जा रहे डाबड़ी फ्लाई ओवर के निर्माण की बाधाएँ समाप्त नहीं हो पा रही है। द्वारका से दिल्ली कैट की ओर जा रहे कैरिज-बे के नीचे 14 मीटर चौड़ी सड़क बननी है, जिसके लिए अधिकतर भूमि मिल चुकी है, लेकिन इसके मुहाने पर आ रहे
बीस सूत्री कार्यक्रम के तीन प्लाट व चैपाल जिसमें बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की मूर्ति भी लगी है, मुख्य अड़चने बनी हुई है। इन प्लाटो में लोग भी रहते है। शहरीकृत गांव होने के कारण यह मामला उपराज्यपाल तक पहुंच चुका है। इन प्लाटो व चैपालों के लिए अन्य विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। निगम इस मामले पर  उपराज्यपाल से सकारात्मक निर्णय की उम्मीद कर रहा है। लगभग 100 करोड़ की लागत से बनने वाले इस फ्लाई ओवर का निर्माण दिल्ली नगर निगम के द्वारा किया जा रहा है। धन की कमी, जल बोर्ड की पाइपलाइनों, हाईटैंशन तार व फ्लाई ओवर के नीचे आने वाले मंदिर आदि दिक्कतों के कारण यह परियोजना तीन साल पीछे चल रही है। यह निर्माण कार्य अगस्त 2010 में पूरा होना था।

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