पाठक मेल
पोलिटिकल साइंस (राजनीति विज्ञान) अब विज्ञान नहीं रहा अब ये केवल कुर्सी बचाने और सत्ता में बने रहने का जुगाड़भर रह गया है
विद्यालय में राजनीति विज्ञान की पुस्तकें पढ़कर कोई भी भारतवासी लोकतंत्र और प्रजातंत्र भारत में अपने बेहतर भविश्य का ताना-बाना बुनने की कल्पना कर सकता है। लेकिन वर्तमान मे ये किताबे केवल एक भ्रम ही लगती है। वर्तमान राजनेताओं के आचरण और करतबों को देखकर लगता है कि या तो वे किताबे गलत प्रकाशित हो गई है या इन राजनेताओं ने राजनीति शास्त्र की बजाय किसी और पुस्तक को राजनीति शास्त्र समझ लिया होगा। थ्यौरी कक्षाओं के बाद हम प्रक्टिकल कक्षाओं में जाते है और पुराने शोध को देखते हुए उनपर अमल करके सीखते है। इन राजनेताओं के प्रक्टिकल देखकर देश का भविश्य या नए छात्र क्या सीख रहे है। वर्तमान राजनीतिज्ञों को देखकर लगता है कि पोलिटिकल साइंस (राजनीति विज्ञान) अब विज्ञान नहीं रहा अब ये केवल कुर्सी बचाने और सत्ता में बने रहने का जुगाड़भर रह गया है।
पुस्तकों और वर्तमान राजनेताओं की मुख्य नीतियाँ
पुस्तकः प्रजातंत्र/लोकतंत्र में जनता की सरकार, जनता के लिए और जनता के द्वारा चुनी जाती है। सरकार देश के विकास और जनता के कल्याण के लिए कार्य करती है। जनता के द्वारा चुुना हुआ प्रतिनिधी जन सेवक कहलाएगा और जनता की सेवा के लिए समर्पित रहेगा।
नेता कथनः जनता सरकार जरुर चुनती है लेकिन वोट अपनी मर्जी से नहीं वह तो शराब, पैसा और डण्डे के जोर पर डलवाई जाती है। नेता जनता का सेवक नहीं अपने रिस्तेदारों और पार्टी का सेवक होता है। सरकार देश ओर जनता के कल्याण के लिए नहीं अपने मंत्रियों, विधायकों व सांसदों के कल्याण के लिए कार्य करती है। ये जन सेवक नहीं होते एक बार चुनाव जीत जाए बस फिर जनता हाथ जोड़े इनकी सेवा में खड़ी रहती है।
पुस्तकः सरकार का कार्य जनता की रक्षा करना, आपदा/भूकम्प/बाढ/सूखा आदि की स्थिति में जनता की हर प्रकार से मदद करेगी। पीडि़तों से कोई लगान नही लेगी बल्कि उनके भरण-पोशण का इंतजाम करेगी।
नेता कथनः आपदा/भूकम्प/बाढ/सूखा आदि तो कमाने का बिना हिसाब किताब का खाता होता है जिसका इंतजार सारे मुख्यमंत्री और नेता करते है। जानवरो का चारा भी नहीं छोड़ते।
पुस्तकः जनता के लिए नए रोजगार के अवसर पैदा करना और कम्पनियों के लिए ऐसी पाॅलिसी बनाना जिससे आम जनता के हितो की रक्षा भी हो सकें और महंगाई पर काबू किया जा सके।
नेता कथनः जनता को सब-सीडी और नकद सहायता देकर उनको निकम्मा बना दो ताकि वे किसी काम को करने योग्य न रहे और हमेशा हमारे रहमो करम पर रहे। कम्पनियाँ कोई भी पाॅलिसी बना ले जनता से कोई सरोकार नही है केवल पार्टी को चंदा और मंत्री व नेताओं को कमिशन देते रहना होगा।
पुस्तकः सरकारे सरकारी विभागों में व्यापत भश्ट्राचार को रोकने के हर संभव उपाय करेगी।
नेता कथनः सारे सरकारी कर्मचारी जनता को पूरी तरह निचोड़ दो और सब मिलबांटकर खाएंगें। तुम भी खाओं और ऊपर तक चढ़ावा पहुचाओं। कानून केवल जनता के लिए होते है। नेताओं और सरकारी कर्मचारियों के लिए नहीं। प्रधान
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