Tuesday, July 2, 2013

Street Reporter Year 1 Vol 10 {16.6.2013-30.6.2013}

घण्टे और शंख में छिपी आरोग्यवर्धन चमात्कारिक ध्वनि 
कुछ समय हुआ, रूस के बड़े हस्पताल मास्को सेनीटोरियम में केवल घण्टा बजाकर टी. बी. के रोगी ठीक किए जा रहे थे।
आज वैज्ञानिक अनुसन्धानों से सिद्ध हो चुका है कि शंख तथा घण्टानाद से कितने ही महाभयंकर संक्रामक रोगों के कीटाणु बिलकुल नश्ट हो चुके है। सन् 1916 में लंदन में कई प्रसिद्ध वैज्ञानिकों ने सात मास तक घण्टा ध्वनि पर वैज्ञानिक अनुसन्धान करके बताया कि टी. बी. से पीडि़त रोगी को स्वास्थ्य प्रदान करने के लिए सरल औशधि घण्टा ध्वनि हैं। कुछ समय हुआ, रूस के बड़े हस्पताल मास्को सेनीटोरियम में केवल घण्टा
बजाकर टी. बी. के रोगी ठीक किए जा रहे थे। अफ्रीका के आदिवासी केवल घण्टा बजाकर 95 प्रतिशत सांप के काटे व्यक्तियों को ठीक कर लेते है। ईसा के समकालीन ‘एलाक्षा’ नामक संत ने घण्टा बजाकर कितने ही बहरे व्यक्तियों को ठीक किया था। घण्टा ध्वनि को निरंतर सुनने से कान का बहरा तथा बहरापन आदि कितने ही रोग बिल्कुल ठीक होने में सहायता होती है। संसार में घण्टों का इतिहास बड़ा ही विचित्र है। रूस की राजधानी मास्को में ही दुनियां के छः विशालकाय घण्टे इस समय भी देखे जा सकते है। इनमें से एक घण्टे का वजन 6500 मन है। चीन की राजधानी पेइचिंग के बौद्ध बिहार में 4300 मन का घण्टा उपस्थित है और विश्व का सबसे बड़ा घण्टा बर्मा के बौद्वमन्दिर में शोभा पाता है। भारतीयों ने इन सबके सार को बहुत पहले ही जान लिया था।भारत के महान वैज्ञानिक श्री जगदीश चन्द्र बसु ने सिद्ध करके बताया है कि शंख को बजाने पर जहां तक उसकी ध्वनि पहुंचती है वहां तक रोग उत्पन्न करने वाले हानिकारक जीवाणु नश्ट हो जाते है एवं शारीरिक व मानसिक तनाव दूर होते है।इसी प्रकार सन् 1928 में जर्मनी की राजधानी ‘बर्लिन’ के छः वैज्ञानिकों ने शंख ध्वनि पर अनुसन्धान के बाद बताया कि शंख ध्वनि में बैक्टीरिया नामक रोग कीटाणु नश्ट हो जाते है। इसके अलावा मिरगी, मूर्छा, कम्पज्वर, गर्दन तोड़ बुखार,
हैजा, प्लेग, आदि रोगों को भी दूर करने में सहायता मिलती है। शंख में रखे हुए जल का पान करने से सगर्भा स्त्री का बच्चा कभी मूक नहीं होता, मूकता और हकलाहट दूर करने में भी शंख का जलपान व ध्वनि सहायक होती है। निरंतर शंख बजाने वाले को कभी फेफड़े का रोग नहीं होता है। मन्दिर में जो शंख और घण्टा बजाया जाता है उससे शारीरिक, मानसिक व आत्मिक प्रसन्नता उत्पन्न होती है। इसलिए मन्दिर में जाने से जो सुख, शान्ति की अनुभूति होती है वह मूर्तियों के सामने जाने से नहीं होती, क्योंकि मूर्तियां तो जड़ होती है चेतन नहीं। भला जड़ वस्तु से चेतन की प्राप्ति कैसे संभव है ऐसा कदापि नहीं हो सकता। यद्यपि परमात्मा निराकार एवं सर्वव्यापक है, उसकी मूर्ति होना संभव नहीं, यदि ऐसा मान भी ले तो जिस प्रकार भैंस की फोटो से दूध की प्राप्ति नहीं हो सकती, मित्र की फोटो से मित्र की प्राप्ति नहीं हो सकती, मधुमक्खी के छत्ते का चित्र देखने से शहद की प्राप्ति असंभव है उसी प्रकार परमात्मा की मूर्ति बनाकर उसके सक्षम हाथ जोड़ने से परमात्मा की प्राप्ति नहीं हो सकती। यजुर्वेद अध्याय 32, मंत्र 3 में स्पश्ट लिखा है ‘न तस्य प्रतिमा अस्ति’ अर्थात् ईश्वर की कोई मूर्ति अथवा आकृति नहीं है। जिसने संसार की रचना की, मनुश्य ने उस ईश्वर की मूर्ति बनाकर, देवता से लेवता बनाकर कितना बड़ा धोखा किया है। जब जिसकी मूर्ति बन सकती है उस मूर्ति से उसकी प्राप्ति नहीं हो सकती जिसकी वह मूर्ति है, तो जिस निराकार व निर्विकार परमात्मा की मूर्ति बन ही सकती उससे उस
परमात्मा की प्राप्ति कैसे संभव है? मंदिर में जाने पर प्राप्त हुई सुख शांति को हम अज्ञानवश समझ बैठते है कि परमात्मा की मूर्तियों के सामने मत्था टेकने से प्राप्त हुई है जबकि वह तो घण्टे और पिरामिड नुमा बने मंदिर के गुम्बद के माध्यम से बहती हुई विश्व शक्ति अर्थात ब्रहाण्डीय उर्जा व आपके सकारात्मक भाव का परिणाम है। यह वैज्ञानिक सत्य है। मूर्तियां तो घर में भी होती है, किंतु वहां ऐसी अनुभूति क्यों नहीं होती? इसका एक कारण यह भी है कि घर में आप दो मिनट भी आँखें बंद करके ईश्वर का ध्यान नहीं करते, जबकि मंदिर में जाते ही स्वतः आँखें बंद करके ईश्वर प्रुभ का घण्टों अपनी कामना पूर्ति के लिए ध्यान करते है। अतः मंदिर में जाकर मूर्तियों का नहीं ‘निराकार ईश्वर’ जिसका मुख्य व निज् नाम ‘ओम’ है, का निरंतर ध्यान कीजिए, जैसाकि महात्मा शिव और मर्यादा पुरूशोत्तम श्री राम एवं योगेश्वर श्री कृश्ण आदि महापुरूश करते थे। यही अभ्यास एक दिन व्यवहार में बदल जाएगा, चित्त शांत हो जाएगा, अज्ञान, अविद्या के बादल छट जाएंगे और आपका जीवन बदल जाएगा।
डा0 गंगा शरण आर्य (डी.एन.वाई. एवं मास्टर कास्मिक एनर्जी हीलर)
चरित्र निर्माण मंडल, सैनी मोहल्ला
ग्राम शाहबाद मोहम्मदपुर, नई दिल्ली-110061
मो0: 9871644195  

No comments:

Post a Comment