Sunday, November 24, 2013

भोपाल गैस पीडि़त दबाएंगे 'नोटा बटन

भोपाल गैस पीडि़त दबाएंगे 'नोटा बटन
रिपोर्टर ब्यूरो: यह ऐलान गैस पीडि़तों के बीच काम करने वाले पांच संगठनों ने मिलकर किया है। ये संगठन
गुरुवार से गैस पीडि़त बसितयों में जाकर पीडि़त, उनके आश्रित और उनकी अगली पीढ़ी के मतदाताओं को समझाएंगे कि किस तरह भाजपा और कांग्रेस ने उनके साथ विश्वासघात किया है। 'भोपाल ग्रुप  फार इन्फामेर्शन एंड एक्शन की रचना ढींगरा कहती हैं, दोनों पार्टियों ने गैस पीडि़तों के हितों को नुक़सान पहुंचाया है। इसके दस्तावेज़ी सबूत देखते हुए गैस पीडि़त मतदाताओं के लिए नोटा बटन ही सही चयन होगा। यूनियन कार्बाइड के भोपाल सिथत प्लांट से दो और तीन दिसंबर 1984 की दरम्यान रात रिसी जहरीली गैस ने हज़ारों लोगों की जान ले ली थी। गैस ने भोपाल शहर के पुराने हिस्से की एक बड़ी आबादी को प्रभावित किया था, जिसके ज़खम आज भी लाखों लोगों के जिस्म पर अलग-अलग बीमारियों के रूप में देखे जा सकते हैं। गैस का दुष्प्रभाव दूसरी और तीसरी पीढ़ी तक देखने में आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के हालिया फ़ैसले के बाद चुनाव आयोग ने मतदाताओं को किसी भी उम्मीदवार को वोट न देने का विकल्प दिया है, जिसे नोटा यानी नाट आफ़ द अबव (उपरोक्त में से कोई नहीं) कहा जाता है।

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