शीला सरकार के चार बड़े प्रोजेक्टस पर पड़ी सीबीआर्इ की नजर
चुनाव से पहले आर्इ मुसीबत
शीला सरकार के चार बड़े प्रोजेक्टस
पर पड़ी सीबीआर्इ की नजर
इनमें तीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं जबकि
चौथा मामला दिल्ली में पानी के मीटरों
की खरीद का
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव के ऐन पहले दिल्ली सरकार भारी परेशानी में आ गई है। दिल्ली जल बोर्ड के चार बड़े प्रोजेक्ट सीबीआई की जांच के दायरे में आ गए हैं। आरोप है कि तीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और दिल्ली में पानी की मीटरों की खरीद में गड़बड़ी हुई है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ही दिल्ली जल बोर्ड की अध्यक्ष हैं। सीबीआई ने सैकड़ों करोड़ की इन परियोजनाओं में पीई दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
गुरुवार को भारी जलसे के साथ शीला दीक्षित ने दिल्ली विधानसभा के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया। लेकिन इसी के साथ उनके पास एक परेशानी वाली खबर भी आ गई। सीबीआई ने दिल्ली जल बोर्ड की चार परियोजनाओं को अपनी जांच के घेरे में ले लिया। इनमें तीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं जबकि चौथा मामला दिल्ली में पानी के मीटरों की खरीद का है।
दरअसल इन चारों परियोजनाओं के ठेके और नियमों में की गई अनदेखी को लेकर पिछले करीब एक साल से सवाल उठ रहे थे। इसकी शिकायत सीवीसी और सीएजी से लेकर हर जगह की गई लेकिन कोई सुगबुगाहट नहीं हुई। आखिरकार ये शिकायत सीबीआई के पास पहुंची और सीबीआई ने सारे दस्तावेजों की जांच के बाद इन चारों मामलों को जांच योग्य मानते हुए पीई दर्ज कर लिया।
दरअसल दिल्ली जल बोर्ड ने मालवीय नगर, नांगलोई और वसंत विहार के सीवेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के आपरेशन और मेंटेनेंस का काम निजी हाथों को सौंपा था। आरोप है कि इनमें दो मालवीय नगर और नांगलोई के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम बिना ठेके के ही फ्रांस की दो कंपनियों को सौंप दिया गया। सूत्रों के मुताबिक नांगलोई ट्रीटमेंट प्लांट 652 करोड़ का है। जबकि मालवीय नगर ट्रीटमेंट प्लांट 735 करोड़ रुपए का है। आरोप है कि इन दिल्ली सरकार ने इन कंपनियों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की है।
खास बात ये है कि सरकार ने फ्रांस की जिस कंपनी को नांगलोई प्लांट का काम सौंपा है उस कंपनी को लेकर भारत सरकार ने ही सवाल उठाए थे। खुद भारत सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड की इस कंपनी के बारे में लिखकर बताया था कि इस कंपनी की दो अलग-अलग परियोजनाओं में हुई दुर्घटनाओं में मजदूर मारे जा चुके हैं और इस कंपनी को 50 मीलियन डालर का जुर्माना भी देना पड़ाा था।
दिल्ली जल बोर्ड ने लोगों के घरों में जो मीटर लगाए हैं उन मीटरों की खरीद में भी घोटाले का आरोप लगे हैं। सरकार ने पहली खेप में चार लाख मीटर खरीदे थे। आरोप है कि ये मीटर बाजार भाव यानी एमआरपी से अधिक कीमत पर खरीदे गए। चौंकाने वाली बात है कि इन मीटरों की खरीद से पहले इसके नमूने केरल की प्ल्यूड कंट्रोल रिसर्च सेंटर से हरी झंडी लेनी जरूरी थी। मीटरों को जांच के लिए इस संस्था के पास भेजा गया। जांच के बाद रिसर्च सेंटर ने इन मीटरों को रिजेक्ट कर दिया। आरोप है कि बावजूद इसके सरकार ने चार लाख मीटर न सिर्फ खरीदे बलिक इसके लिए ऊंची कीमत भी चुकाई।
चुनाव से पहले आर्इ मुसीबत
शीला सरकार के चार बड़े प्रोजेक्टस
पर पड़ी सीबीआर्इ की नजर
इनमें तीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं जबकि
चौथा मामला दिल्ली में पानी के मीटरों
की खरीद का
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव के ऐन पहले दिल्ली सरकार भारी परेशानी में आ गई है। दिल्ली जल बोर्ड के चार बड़े प्रोजेक्ट सीबीआई की जांच के दायरे में आ गए हैं। आरोप है कि तीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और दिल्ली में पानी की मीटरों की खरीद में गड़बड़ी हुई है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ही दिल्ली जल बोर्ड की अध्यक्ष हैं। सीबीआई ने सैकड़ों करोड़ की इन परियोजनाओं में पीई दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
गुरुवार को भारी जलसे के साथ शीला दीक्षित ने दिल्ली विधानसभा के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया। लेकिन इसी के साथ उनके पास एक परेशानी वाली खबर भी आ गई। सीबीआई ने दिल्ली जल बोर्ड की चार परियोजनाओं को अपनी जांच के घेरे में ले लिया। इनमें तीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं जबकि चौथा मामला दिल्ली में पानी के मीटरों की खरीद का है।
दरअसल इन चारों परियोजनाओं के ठेके और नियमों में की गई अनदेखी को लेकर पिछले करीब एक साल से सवाल उठ रहे थे। इसकी शिकायत सीवीसी और सीएजी से लेकर हर जगह की गई लेकिन कोई सुगबुगाहट नहीं हुई। आखिरकार ये शिकायत सीबीआई के पास पहुंची और सीबीआई ने सारे दस्तावेजों की जांच के बाद इन चारों मामलों को जांच योग्य मानते हुए पीई दर्ज कर लिया।
दरअसल दिल्ली जल बोर्ड ने मालवीय नगर, नांगलोई और वसंत विहार के सीवेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के आपरेशन और मेंटेनेंस का काम निजी हाथों को सौंपा था। आरोप है कि इनमें दो मालवीय नगर और नांगलोई के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम बिना ठेके के ही फ्रांस की दो कंपनियों को सौंप दिया गया। सूत्रों के मुताबिक नांगलोई ट्रीटमेंट प्लांट 652 करोड़ का है। जबकि मालवीय नगर ट्रीटमेंट प्लांट 735 करोड़ रुपए का है। आरोप है कि इन दिल्ली सरकार ने इन कंपनियों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की है।
खास बात ये है कि सरकार ने फ्रांस की जिस कंपनी को नांगलोई प्लांट का काम सौंपा है उस कंपनी को लेकर भारत सरकार ने ही सवाल उठाए थे। खुद भारत सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड की इस कंपनी के बारे में लिखकर बताया था कि इस कंपनी की दो अलग-अलग परियोजनाओं में हुई दुर्घटनाओं में मजदूर मारे जा चुके हैं और इस कंपनी को 50 मीलियन डालर का जुर्माना भी देना पड़ाा था।
दिल्ली जल बोर्ड ने लोगों के घरों में जो मीटर लगाए हैं उन मीटरों की खरीद में भी घोटाले का आरोप लगे हैं। सरकार ने पहली खेप में चार लाख मीटर खरीदे थे। आरोप है कि ये मीटर बाजार भाव यानी एमआरपी से अधिक कीमत पर खरीदे गए। चौंकाने वाली बात है कि इन मीटरों की खरीद से पहले इसके नमूने केरल की प्ल्यूड कंट्रोल रिसर्च सेंटर से हरी झंडी लेनी जरूरी थी। मीटरों को जांच के लिए इस संस्था के पास भेजा गया। जांच के बाद रिसर्च सेंटर ने इन मीटरों को रिजेक्ट कर दिया। आरोप है कि बावजूद इसके सरकार ने चार लाख मीटर न सिर्फ खरीदे बलिक इसके लिए ऊंची कीमत भी चुकाई।
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