Sunday, December 1, 2013

सरकारी कामों में बिना नाम और पद लिखे हस्ताक्षर स्वीकार्य नहीं - हाई कोर्ट

सरकारी कामों में बिना नाम और पद लिखे हस्ताक्षर स्वीकार्य नहीं - हाई कोर्ट
वेब ब्यूरो : ज्यादातर सरकारी अधिकारी हस्ताक्षर करने में ऐसी खानापूर्ति करते हैं कि उनका काम भी हो जाए
और जब कानूनी अड़चन हो तो कोई यह न बता सके कि ये किसके हस्ताक्षर हैं? सरकारी कामकाज में इस तरह के हस्ताक्षर अब स्वीकार्य नहीं होंगे। यह टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। न्यायमूर्ति एसके मिश्र ने संचार एवं सूचना प्रोद्योगिकी मंत्रलय के अंतर्गत आने वाले पोस्टल एकाउंट डिपार्टमेंट ऑफ पोस्ट के एक मामले में दायर अवमानना याचिका में अधिकारियों के हस्ताक्षर करने की शैली पर नाराजगी जताई है। अदालत ने संचार एवं सूचना प्रोद्योगिकी मंत्रलय सचिव को निर्देश दिया कि वह विशेष निर्देश जारी करें कि कोई भी अधिकारी अपने हस्ताक्षर के नीचे अपना नाम व पद का संपूर्ण विवरण जरूर लिखे। खंडपीठ ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा वकील को भेजे गए दो पत्र अदालत को दिखाए गए। इनमें न तो पत्र भेजने वाले अधिकारी का नाम समझ आ रहा था और न ही उनका पद। समझ नहीं आ रहा कि कैसे और किस अॅथारिटी के तहत यह पत्रचार करने वाले अधिकारी ऐसे हस्ताक्षर कर रहे हैं? संभवत: वे अपनी पहचान छिपाने के लिए ऐसा करते हैं? इस तरह की कार्यप्रणाली को प्रभावी व पारदर्शी नहीं कहा जा सकता है। इससे कड़ाई से निपटना जरूरी है।

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